चन्दा !
प्रेम की गली मे
हर दम शोर
चंदा ने पूछा
अंजुमन या तन्हाई
मैंने चुना खामोशी
तारे गिनते गिनते
चन्दा तक पहुंचना था
हम गिनते गिनते ही रहगए
प्रेम की दुनिया मे मजनू बनके रहगये
चंदा हँसी और पूछा
दूर या नज़दीक
मैंने चुना परस (touch) !
महफ़िल में लोग अनेक पर
मेरी चन्दा बस अलग
चूड़ियाँ कनकी तो
बिना खंजर के
दिल हो गया चूरा- चूरा
चंदा झुकी मुझपर और कहा
गजरा या सुरमा
मैंने चुना इतर-ए-नुपुर !